
बिहार में बढ़ते अपराध पर बात करते हुए ADG हेडक्वार्टर कुंदन कृष्णन ने जो कहा, उसने पूरे देश की जबान पर एक सवाल छोड़ दिया है—“क्या खेती नहीं करेंगे तो हत्या कर देंगे?”
‘खाली बैठा किसान… बन गया अपराधी?’
बिहार के तेज-तर्रार आईपीएस अफसरों में शुमार कुंदन कृष्णन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि
“मई-जून में किसान फुर्सत में होते हैं, इसलिए मर्डर ज्यादा होते हैं। बारिश के बाद क्राइम घटता है क्योंकि किसान खेतों में व्यस्त हो जाते हैं।”
बयान सुनते ही सोशल मीडिया पर मीम बाढ़ की तरह छा गए—किसी ने कहा “अब पक्की नौकरी छोड़ खेती ही करें, वरना क्रिमिनल समझे जाएंगे!” तो किसी ने इसे ‘कृषि अपराध सिद्धांत’ करार दे दिया।
पवन खेड़ा का पलटवार: ADG के बयान से लोकतंत्र शर्मसार!
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा:
“ADG साहब के पास रिटायरमेंट के बाद काम नहीं रहेगा, तो क्या वो भी गोली चलाएंगे?”
खेड़ा का कटाक्ष सीधा और तीखा था। उन्होंने कहा कि “जब कोतवाल ही ऐसा हो, तो भगवान ही रखवाला है जनता का।”
पुलिस से ‘योगी मॉडल’ अपनाने की मांग, BJP हुई आक्रामक
भाजपा नेताओं ने बयान के बाद पुलिस को सुझाव दे डाला—उत्तर प्रदेश वाला “योगी मॉडल” लागू करो!
उधर, ADG साहब ने जवाब दिया कि सिर्फ एनकाउंटर से काम नहीं चलेगा, समाज को साथ आना होगा।
मतलब—बंदूक भी चाहिए और सोशल सपोर्ट भी!
अप्रैल-मई-जून: बिहार का ‘क्राइम सीजन’?
ADG कृष्णन ने ट्रेंड बताते हुए कहा कि अप्रैल से जून तक बिहार में क्राइम का ग्राफ बढ़ता है।
उनका कहना है कि बरसात आते ही हत्याएं कम हो जाती हैं। यानी, इंद्र देवता ही बिहार की लॉ एंड ऑर्डर को स्थिर रखते हैं!
कुंदन कृष्णन की सख्त छवि और बहादुरी की कहानियां
ADG कुंदन कृष्णन 1994 बैच के आईपीएस हैं और कई हाई-प्रोफाइल मामलों में उन्होंने तेज कार्रवाई की है।
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गोपाल खेमका मर्डर केस में मुख्य शूटर को 72 घंटे में गिरफ्तार किया।
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आनंद मोहन को होटल से पकड़कर जेल भेजा।
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एक बार AK-47 लेकर जेल दंगे में अकेले कूद पड़े, 1200 कैदियों से भिड़ गए।
लेकिन इस बार उनके बयान ने उनकी बहादुरी से ज्यादा हास्य और विवाद को जन्म दिया है।
जनता पूछ रही है: किसानों को दोष देने से कानून व्यवस्था सुधरेगी?
किसानों के संघर्ष, आत्महत्या, बेरोजगारी के मुद्दे सालों से गंभीर हैं।
अब अगर हत्या का कारण भी “खाली किसान” बताया जाए, तो यह सिर्फ सियासी बवाल नहीं बल्कि सोच पर सवाल है।
एक बयान, कई सवाल
ADG कुंदन कृष्णन का बयान न केवल विवादास्पद है, बल्कि यह सवाल उठाता है कि क्या अपराध के गहराते कारणों को समझने की जगह संवेदनहीन सामान्यीकरण किया जा रहा है?
वक़्त आ गया है कि पुलिसिंग को भी जनता की भावना और तर्क दोनों के साथ संतुलित किया जाए।
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